धंधा

बेटा – मां, हम इनके पैर क्यों छूते हैं?

मां – बेटा, ये महात्मा जी हैं।

बेटा – महात्मा जी क्या करते हैं?

मां- बेटा ये प्रवचन करते हैं।

बेटा – तो आपने इनको पैसा क्यों दिया?

मां- बेटा, वो तो दक्षिणा हैं।

बेटा – ठीक है, जब पैसे दे दिए तो पैर क्यों छूते हैं?

मां- बेटा, वो तो सम्मान के लिए।

बेटा – तो आप सब्जी वाले का पैर क्यों नहीं छूतीं?

मां- सब्जी वाले का पैर क्यों छुऊं?

बेटा- क्यो? जब महात्मा जी से प्रवचन के बदले पैसे देकर पैर छूते हैं, तो सब्जी वाले से सब्जी के बदले पैसा देकर पैर क्यों नहीं छूते हैं?

मां- ये क्या बात हुई? उसका तो धंधा है सब्जी बेचना।

बेटा – मां, इनका भी तो धंधा है।

Ramakant Mishra

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